लेखन योजना की संगठनात्मक संरचना

मार्गदर्शक परिषद् 

भारत के समग्र इतिहास के लिखने में अनेक कठिनाइयां और समस्यायें आ सकती है। अतः इस पर विचार-विमर्श कर उनको सुलझाने के लिये सस्ंकृत के खगोल, भूगोल और इतिहास के विद्वानों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए मार्गदर्शक परिषद् होगी।

वैचारिक मण्डल

शोध सस्ंथान से सम्बद्ध समवैचारिक सस्ंथाओं के प्रतिनिधियों का वैचारिक मण्डल होगा ताकि सारे वर्ष भर के इतिहास लेखन एवं अन्य कार्यक्रमों की योजना में सुविधा हो सके।

लेखन योजना के प्रमुख

शोध सस्ंथान के वैचारिक पक्ष के निदेशक ही लेखन योजना के प्रमुख होगें। इतिहास लेखन – भारतीय कालगणना के अनुसार भारत का सम्पूर्ण इतिहास चार युगों में विभक्त है- देवयुग, ब्रह्म युग, क्षात्र युग, और कलियुग। इस दीर्घ कालीन इतिहास में महाभारत विभाजक रेखा है, इसी कारण इसे दो भागों में विभक्त किया गया है। पहला भाग अर्थात् वेदों से लेकर महाभारत तक में उपरोक्त चार युगों में से प्रथम तीन युगों की काल अवधि आ जाती है। दूसरा भाग महाभारत काल से अद्यवत् होगा। इतिहास लेखन के लिये इन दोनों भागों को स्वीकार किया गया है। महाभारत से लेकर अद्यवत् का दूसरा भाग वैवस्वत मन्वन्तर के 28 वें महायुग का कलियुग है। इसका अभी 5111 वां वर्ष चल रहा है। इतिहास लेखन के लिये इसको 60-60 वर्ष के संवत्सर चक्रों में विभक्त किया गया है। वर्तमान में 86 वां सवंत्सर चक्र चल रहा है। इस कलियुग के 5000 वर्षों के इतिहास की|