एक सौ सत्तानवे करोड़ वर्ष का इतिहास
भारत के इतिहास का विषय-प्रवर्तन दो चार हज़ार वर्ष के काल प्रवाह से नहीं वह तो हिरण्यगर्भ के सरंचना काल के बिन्दु से होता है और इस पृथ्वी पर प्रथम मानवोत्पत्ति से शुरू होकर अद्यवत 197 करोड़ वर्ष का है। विश्व के सभी विद्वान यह स्वीकार करते हैं कि मनुष्य जाति की आदि जननी भारत ही है क्योंक विश्व के आदि मानव का प्रादुर्भाव भारत के सुमेरू पर्वत पर हुआ है। इस कारण भारत विश्व के सब राष्ट्रों, सब जातियों, सभी धर्मों और ज्ञान-विज्ञान के सभी शास्त्रों का उद्गम स्थान है। भारत ही नहीं अपितु सारे विश्व के संपूर्ण प्राचीन इतिहास की सामग्री भी भारत के ही पास है, अन्य किसी ही देश के पास नहीं है, अतः भारत के इतिहास लेखन के सम्बन्ध में वैश्विक परिप्रेक्ष्य में विचार करना अनिवार्य हो जाता है। विश्व के निर्माता श्री ब्रह्मा जी हमारे इस अति रहस्ययुक्त और रोमांचकारक अद्भुत विश्व के महाभिकल्पक अथवा रचयिता श्रीब्रह्मा जी हैं। इनकी सम्पूर्ण आयु 100 वर्ष अर्थात 31 नील, 10 खरब 40 अरब है। इसमें से 50 वर्ष अर्थात 15 नील, 55 खरब 20 अरब बीत चुके हैं। इसको प्रथम परार्द्ध कहा जाता है और अब ब्रह्मा जी ने अपनी आयु के 51वें वर्ष अर्थात् द्वितीय परार्द्ध के प्रथम वर्ष में प्रवेश किया है। जो कल्पीय हिसाब से इस प्रकार हैः- ब्रह्मा जी का एक दिन = 1 कल्प ब्रह्मा जी की एक रात्रि = 1 कल्प ब्रह्मा जी का अहोरात्र = 2 कल्प ब्रह्मा जी का एक मास = 30ग2 = 60 कल्प ब्रह्मा जी का एक वर्ष = 60ग 12 = 720 कल्प ब्रह्मा जी की कुल आयु = 720ग 100 = 72,000 कल्प